ब्रम्हदैत्य - 7

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भाग 7: भयानक हमलारात के ठीक आठ बज रहे थे। आसमान पर काले बादल छाए हुए थे, और दूर-दूर तक सुनसान सन्नाटा पसरा हुआ था। सड़क सुनसान थी और चारों ओर हल्की-हल्की ठंडी हवा चल रही थी। कभी-कभी कोई पेड़ की शाख हिलती, तो लगता कोई पीछे खड़ा हो। रिया कार में बैठे-बैठे बेचैनी से सामने की सड़क को घूर रही थी। उसका मन बार-बार घड़ी की ओर जा रहा था।"कब ये गाड़ी ठीक होगी और कब हम रामपुर पहुंचेंगे?" यही सोचते-सोचते रिया की नज़र — सुनीता की ओर गई, जो राहुल के साथ खड़ी होकर गाड़ी के इंजन का