भाग 4 : जीवन की घटनाएँ और भक्तों के संवाद1. पहला बड़ा कीर्तन उत्सवप्रेमानंद जी का पहला बड़ा कीर्तन उत्सव वृंदावन की पावन धरा पर हुआ।कहते हैं कि जब वे पहली बार यमुना किनारे भक्तों के साथ “राधे… राधे…” का संकीर्तन करने लगे, तो वहाँ का वातावरण बदल गया।गर्मी का मौसम था, सूरज सिर पर था, लेकिन जैसे ही उनके स्वर फूटे—“श्री राधे, श्री राधे…”तो एक ठंडी लहर-सी चली। भक्त कहते हैं कि पेड़ों की डालियाँ तक झूम उठीं, और यमुना की लहरें ताल देने लगीं।कई लोग कहते हैं कि उस दिन उन्होंने सच में अनुभव किया कि भगवान का