भाग 3 : प्रवचन, कीर्तन और भक्ति संदेशभक्ति की धारा का प्रवाहगुरु-दीक्षा और कठोर साधना के बाद प्रेमानंद जी के जीवन का अगला चरण शुरू हुआ—भक्ति का प्रसार।गुरुदेव ने उन्हें आज्ञा दी थी कि “अब केवल अपने लिए साधना मत करो, भक्ति का अमृत सबमें बाँटो।”यह वचन उनके जीवन का मूल मंत्र बन गया।अब प्रेमानंद जी जिस गाँव, जिस शहर या जिस मेला-समारोह में पहुँचते, वहाँ भक्ति का वातावरण स्वतः जाग्रत हो जाता। उनके मुख से जब “राधे-राधे” की ध्वनि निकलती, तो मानो पूरा वातावरण पुलकित हो उठता।---1. प्रवचन की अनोखी शैलीप्रेमानंद जी का प्रवचन किसी साधारण व्याख्यान जैसा नहीं