भग:12 रचना: बाबुल हक़ अंसारी "भीड़ का तूफ़ान और आख़िरी सौदा…"पिछले खंड से… "नहीं… त्रिपाठी ने नहीं, उन्हें हराया गया था।वो भी कलम से नहीं, चाल से… सत्ता और स्वार्थ की चाल से।"मंच पर विद्रोहगुरु शंकरनंद के शब्द सुनते ही भीड़ में खलबली मच गई।किसी ने गुस्से में कहा —"तो असली गुनहगार कौन है?"दूसरा चिल्लाया —"सच बताओ गुरुजी! इतने साल क्यों