एपिसोड 17 – आज़ादी की दहलीज़ और संविधान सभा का मार्गबाबासाहेब अंबेडकर का जीवन उस मोड़ पर पहुँच चुका था जहाँ व्यक्तिगत संघर्ष और सामूहिक आंदोलन दोनों एक साथ आकार ले रहे थे। 1940 का दशक भारतीय इतिहास का सबसे उथल-पुथल भरा दशक था। एक ओर अंग्रेज़ों की हुकूमत कमजोर हो रही थी, दूसरी ओर आज़ादी का आंदोलन तेज़ी पकड़ रहा था। महात्मा गांधी ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का आह्वान कर रहे थे, लाखों लोग सड़कों पर थे, जेलें भर चुकी थीं। लेकिन इस पूरे आंदोलन के बीच अंबेडकर का दृष्टिकोण अलग था। उनका मानना था कि केवल अंग्रेज़ों से आज़ादी