साए में छुपा प्यार

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संध्या का धुंधलका फैल चुका था। गाँव की संकरी गलियों में पीली रोशनी वाली टिमटिमाती लाइटें अजीब-सी खामोशी बिखेर रही थीं। आर्या अपनी किताबों में डूबी बैठी थी, मगर मन कहीं और भटक रहा था। दिल के किसी कोने में एक अनकही हलचल उसे बेचैन कर रही थी।आर्या का जीवन सरल था — कॉलेज, किताबें और अपने छोटे-से परिवार की जिम्मेदारियाँ। लेकिन कुछ हफ़्तों से वह महसूस कर रही थी कि कोई अनजानी निगाहें उसके पीछे-पीछे चलती हैं। जब भी वह कॉलेज से लौटती, ऐसा लगता जैसे कोई साया उसके आसपास मंडरा रहा हो।एक शाम, जब हवा में हल्की ठंडक