नीलम कुलश्रेष्ठ हिंदी साहित्य में साहित्य का स्तर जब ही उच्च माना जाता है जब उसमें गरीबों की, वंचितों की बात होती है। मेरी राय इससे बहुत अलग है। जो रचनाकार जहां बैठा है, वहीं से दुनियां में मिले अपने हिस्से तक नज़र दौड़ा सकता है। जो रचनाकार इस दुनियां की तस्वीर जितनी ईमानदारी से रच सकता है, वही साहित्य है। ये बात मैंने लिखी है विनीता शुक्ला के नवीनतम कहानी संग्रह `साँसों के तार`के सन्दर्भ में। विनीता शुक्ला एक विदुषी गृहणी हैं लेकिन वे यूक्रेन युद्ध से आहत हैं। आहत हैं वहां के 'युद्ध' में बच्चों के अनाथ होते