प्रकृति ने भी छुट्टी ले ली और कबीर भी ऑफिस नहीं आया…ऋद्धान अपने केबिन में बैठा था, लेकिन उसका मन काम में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था।वो बेचैन था, उलझन में था।“ये सब अचानक क्या हो गया? एक ही रात में सब इतना बदल कैसे गया…”उसके चेहरे पर चिंता साफ झलक रही थी।वो बार-बार अपनी घड़ी देखता, मोबाइल उठाता और फिर रख देता।आख़िरकार उसने फोन उठाया और कबीर का नंबर डायल कर दिया।कबीर के फोन की स्क्रीन पर ऋद्धान का नाम चमका।फोन की रिंग सुनकर प्रकृति एकदम पीछे हट गई, मानो उससे दूरी बनानी चाह रही हो।दोनों—कबीर और प्रकृति—बस