बारिश की बूँदें खिड़की से टकरा रही थीं। शाम का अँधेरा गाँव की कच्ची गलियों को और रहस्यमयी बना रहा था। 13 साल का आरव कार की खिड़की से बाहर झाँक रहा था। उसके माता-पिता ने अभी-अभी शहर छोड़कर इस दूर-दराज़ के गाँव में रहने का फैसला किया था।गाँव का नाम था रतौली। नाम सुनकर ही डर लगता था। और इस गाँव में सबसे मशहूर थी – रक्त हवेली।कार गाँव के चौक पर रुकी। वहीं पर हरिराम काका बैठा था – बोतल हाथ में, आँखें लाल।“अरे साहब लोग! नया खून आ गया है गाँव में… हा हा हा…” वह हँसते-हँसते