सुनहरी गलियों का प्यार - 7

  • 240
  • 72

--- भाग 1: पेरिस की वापसीविराज पेरिस पहुँच चुका था — वही शहर जहाँ जान्हवी ने अपनी कला को उड़ान दी थी, लेकिन विराज की अनुपस्थिति में।जान्हवी को उसकी वापसी की खबर मिली — लेकिन वो उससे मिलने नहीं गई।  वो चाहती थी कि विराज खुद उस दीवार के सामने आए — जहाँ उनकी कहानी अधूरी रह गई थी।--- भाग 2: दीवार की खामोशीवो दीवार अब भी वैसी ही थी — जान्हवी की स्केच, अधूरी पंक्ति, और एक खाली कोना।विराज वहाँ पहुँचा — और दीवार को देखा जैसे पहली बार देख रहा हो।उसने अपनी जेब से एक छोटा सा ब्रश निकाला