एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा - 24

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कबीर ने एक गहरी सांस ली।उसकी आँखों में थकान थी, जैसे बरसों का बोझ अचानक उस पर आ बैठा हो। एक तरफ़ राहत थी कि शायद अब सच्चाई सामने आ जाएगी, लेकिन दूसरी तरफ़ उसके मन के कोनों में सवाल चुभ रहे थे— “क्या सच में... क्या सच में रिद्धि ने डिप्रेशन में आकर ही ये कदम उठाया था? क्या वाकई उस दिन का हादसा इतना बड़ा था कि उसने ज़िंदगी से ही हार मान ली?”वो इन्हीं ख्यालों में डूबा था कि तभी प्रकृति ने झकझोरते हुए कहा,“कबीर! क्या सोच रहे हो? मुझे बताओगे, या फिर ये भी मुझे रिद्धहान