गाँव और मासुमियत

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 गाँव और मासूमियतप्रतापपुर गाँव की सुबह किसी पुराने भजन जैसी होती थी—धीमी, मधुर और आत्मा को छू लेने वाली। जब पूर्व दिशा से सूरज की लालिमा आसमान पर बिखरती, तो ऐसा लगता मानो धरती ने सुनहरा आँचल ओढ़ लिया हो। खेतों में ओस की बूँदें मोतियों की तरह चमकतीं और हवा में मिट्टी की खुशबू घुल जाती।गाँव का जीवन सरल था। लोग सूर्योदय से पहले उठते, पशुओं की देखभाल करते और फिर खेतों में जुट जाते। औरतें कुएँ से पानी भरतीं, आँगन लीपतीं और लोकगीत गातीं। बच्चे स्कूल जाने से पहले नदी किनारे नहाने जाते और फिर खेलकूद में खो