दिल की गहराइयाँ

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सुबह की सुनहरी धूप जब शहर की गलियों में छिटक रही थी, तब ही अनाया अपनी छोटी-सी किताबों की दुकान में कदम रखी। किताबों की खुशबू, पेड़ों की हल्की ठंडी हवा और चाय की महक ने उसके मन को सुकून दिया।तभी अचानक उसकी नज़र उस शख्स पर पड़ी। उसकी आँखों में कुछ ऐसा था, जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल था—एक अजीब सा खिंचाव, जैसे कोई खोया हुआ हिस्सा उसे खींच रहा हो।“नमस्ते,” उसने हौले से कहा।“नमस्ते,” जवाब में उसके होंठों पर हल्की मुस्कान आई।कुछ पल ऐसे बीते, जिसमें वक्त जैसे रुक सा गया। अनाया को लगा कि उसके दिल