अनजान रिश्ता शहर की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कुछ रिश्ते ऐसे बन जाते हैं, जिनका कोई नाम नहीं होता, कोई पहचान नहीं होती... पर दिल उन पर अपनी मुहर लगा देता है। यह कहानी भी ऐसे ही एक अनजान रिश्ते की है।---पहला पड़ावनंदिनी एक साधारण मिडिल क्लास लड़की थी, जो दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही थी। वो हमेशा अपनी किताबों और दोस्तों की छोटी-छोटी बातों में खुश रहती थी। उसके चेहरे की मासूम मुस्कान ही उसकी सबसे बड़ी पहचान थी।एक दिन लाइब्रेरी में अचानक उसकी नज़र एक लड़के से मिली। वो वहीँ बैठा था, किताबों में खोया हुआ,