प्रकृति रेस्टोरेंट के दरवाज़े से अंदर दाख़िल हुई।हल्की-सी रोशनी, शराब की महक और धीमी-धीमी धुनें…उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था।उसकी नज़रें एकदम सीधे उस कोने की टेबल पर जाकर ठहर गईं।वहाँ… रिद्धान बैठा था।सिर टेबल पर झुका हुआ, हाथ में फ़ोन कसकर पकड़ा हुआ।चेहरा थकान और शराब दोनों से बोझिल।वो बड़बड़ा रहा था—"तुम तो बहुत अच्छी थीं ना…नहीं… नहीं… तुम अभी भी अच्छी हो!फिर तुम ऐसा कैसे कर सकती हो…?तो ये सब किसने… किसने किया…"प्रकृति धीरे-धीरे क़दम बढ़ाते हुए पास पहुँची।उसकी आँखें फ़ोन की स्क्रीन पर गईं…और उसके दिल की धड़कन थम गई।फ़ोन की स्क्रीन पर वही तस्वीर थी—वही