रेलवे स्टेशन पर बारिश की हल्की बूँदें गिर रही थीं। चारों ओर भीड़-भाड़ थी, लेकिन भीड़ में भी नीरज की नज़र किसी को तलाश रही थी। पंद्रह साल बाद, उसने आज अपने कॉलेज के दिनों की साथी सान्वी से मिलने का तय किया था।नीरज और सान्वी का कॉलेज वाला प्यार कभी नाम नहीं पा सका था। दोनों एक-दूसरे को चाहकर भी कुछ कह न पाए थे। सान्वी एक जिम्मेदार बेटी थी और अपने पिता के सपनों के बोझ तले उसने कभी अपनी भावनाओं को सामने नहीं आने दिया। वहीं नीरज, एक संकोची लड़का, जिसे शब्दों से ज्यादा खामोशियाँ पसंद थीं।उस