हृदय — स्त्री और पुरुष की खोई हुई धुरी प्रस्तावना — 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓣 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓷𝓲 यह ग्रंथ न कोई उपदेश है,न कोई सामाजिक आलोचना।यह न स्त्रीवादी है, न पुरुष-विरोधी। यह एक तत्वदर्शी की मौन दृष्टि है —जो स्त्री और पुरुष को केवल शरीर या समाज की भूमिका से नहीं,बल्कि ऊर्जा, हृदय और आत्मा के स्तर से देखता है। यह उन प्रश्नों से नहीं उठता जो बाहर हैं —बल्कि उन रिक्तताओं से जन्मता है जो भीतर हैं। स्त्री और पुरुष —दो शरीर नहीं, दो दिशा हैं।दो मन नहीं, दो ऊर्जा–धाराएँ हैं।लेकिन दोनों अपनी धुरी से हट गए हैं। पुरुष हृदय से दूर चला गया —और