{ पहली मुलाक़ात }कॉलेज का नया सेशन शुरू हुआ था। कैंपस में हर जगह हलचल थी—कहीं नए स्टूडेंट्स का उत्साह, कहीं सीनियर्स का रौब। गलियारों में पोस्टर्स लगे थे कि “वार्षिक सांस्कृतिक महोत्सव अगले महीने होगा।”मायरा भीड़ में चलते-चलते अपने ही अंदाज़ में दोस्तों को हँसा रही थी। वो ऐसी लड़की थी जिसकी मौजूदगी से माहौल बदल जाता था। उसकी आवाज़ में उत्साह और चेहरों पर मुस्कान खींचने की ताक़त थी। हर क्लास में वो सबसे आगे रहती, हर एक्टिविटी में उसका नाम जरूर होता।लेकिन उसी कॉलेज के एक कोने में, डिज़ाइन रूम में, कोई बिल्कुल उल्टा लड़का बैठा था