मयन देव से विवेक की मुलाक़ात....अब आगे.............उबांक की बात सुनकर गामाक्ष कहता है....." बिल्कुल उबांक तुम्हारा बदला अकेले नहीं हैं , हम दोनों का है...."उबांक गामाक्ष की बात से सहमत होकर सिर हिला देता है....दूसरी तरफ , चेताक्क्षी ने यज्ञ कुंड के आसपास अभिमंत्रित भभूत से घेरा बनाकर , खुद उसके सामने बैठ जाती है और उसके सामने दो कुश के आसन सामने बिछाए थे , जिसपर एक पर अमोघनाथ जी और दूसरे पर आदित्य बैठा था , ....देविका जी और इशान माता काली के सामने बैठकर उनके सुरक्षा कवच यज्ञ को देख रहे थे , , चेताक्क्षी एक मिट्टी