वीराना सिर्फ एक हवेली नहीं थी, बल्कि ज़मीन के भीतर दबी यादों की समाधि थी। सदियों पहले यहाँ एक कबीला रहा करता था जो आत्माओं को मारता नहीं था, बल्कि उनकी यादें चुरा कर मिट्टी में गाड़ देता था। कहते हैं हर इंसान की मौत के बाद उसकी यादें धरती को खुराक चाहिए होती थीं, तभी धरती उसे अपने भीतर समा लेती है। लेकिन उस कबीले ने लालच में जीवित लोगों की यादें चुरानी शुरू कर दीं। जिसके बाद पूरा गाँव ही मिट्टी में समा गया और उसकी जगह बचा सिर्फ वीराना।समस्या यह थी कि वीराने की हवेली ज़िंदा लोगों की