नीलावंती एक श्रापित ग्रंथ

सदियों पहले की बात है, जब गाँवों के बीच फैले अंधेरे जंगलों में रात के सन्नाटे का अर्थ ही भय था। लोग अंधेरा ढलते ही घरों में दुबक जाते, क्योंकि जंगलों में अजीब-अजीब चीखें गूंजती थीं। कहते हैं कि इन जंगलों के बीच किसी समय तंत्र-मंत्र का ऐसा ग्रंथ लिखा गया था, जो पढ़ने वाले की आत्मा को निगल लेता था। उस ग्रंथ का नाम था "नीलावंती"।इसकी लिखावट नीली रोशनी में चमकती और उसकी हर पंक्ति जैसे जीवित होकर पढ़ने वाले की आँखों में उतर जाती थी। यह ग्रंथ किसी पुस्तकालय में नहीं रखा जाता था, बल्कि तंत्र साधकों की