मीरा बाई : कृष्ण भक्ति की अमर साधिका - 4

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भाग 4 – अंतिम जीवन और विरासत (लगभग 2000 शब्द) प्रस्तावनामीरा बाई का जीवन संघर्ष, भक्ति और त्याग की गाथा था। जहाँ एक ओर उन्हें समाज और राजदरबार से विरोध सहना पड़ा, वहीं दूसरी ओर उन्होंने कृष्ण के प्रेम में ऐसा आत्मसमर्पण किया कि उनका पूरा जीवन ही ईश्वर की साधना बन गया। उनके अंतिम वर्षों का जीवन रहस्यमयी, किंवदंतियों और चमत्कारों से भरा है। इसी ने उन्हें आज भी लोक स्मृति और भक्त हृदयों में अमर बनाए रखा है।--- राजदरबार से निर्वासनमीरा बाई के कृष्ण-प्रेम ने उदयपुर के राजघराने और मेवाड़ दरबार को हमेशा असहज किया।पति भोजराज की मृत्यु