मीरा बाई : कृष्ण भक्ति की अमर साधिका - 3

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भाग 3 – साधना और रचनाएँ (लगभग 2000 शब्द) प्रस्तावनामीरा बाई का जीवन केवल संघर्ष और विरोध की गाथा नहीं है, बल्कि यह अद्भुत साधना और अमर साहित्य की भी गाथा है।उनके भजन और पद न केवल उस समय के समाज को प्रभावित करते थे, बल्कि आज भी घर-घर में गाए जाते हैं।उनकी साधना इतनी गहरी थी कि वे स्वयं को श्रीकृष्ण में विलीन मानती थीं। उनका हर पद, हर पंक्ति कृष्ण प्रेम की झलक देता है।--- साधना का स्वरूपमीरा बाई की साधना परंपरागत नहीं थी।वे मंदिरों और महलों की मर्यादाओं से परे जाकर सच्ची आत्मिक भक्ति करती थीं।उनके लिए