त्रिकाल - रहस्य की अंतिम शिला - 11

गुफ़ा की तंग सुरंगों में ठंडी हवा उनके चेहरे पर लग रही थी।दीवारों पर उकेरे गए प्रतीक और शिलालेख, सदियों पुराने, किसी रहस्यमयी संदेश को प्रकट करने का प्रयास कर रहे थे। हर कदम पर पत्थरों की हल्की सरसराहट, कहीं-कहीं हवा की हल्की गूँज, सब एक साथ उनकी नसों में रोमांच और डर भर रहे थे।आर्यन सबसे आगे था। उसके हाथ में तलवार और मशाल थी, पर मन में उलझन और सतर्कता दोनों थीं।“यह स्थान… कुछ कह रहा है,” उसने धीमे स्वर में कहा, उसकी आँखों में जिज्ञासा और चिंता का मिश्रण साफ़ था।वेदिका उसके ठीक पीछे थी।“आर्यन, हमें केवल