तन्हा सफ़र: जज़्बातों की छांव में भीगा इश्क़ - 13

  • 801
  • 387

                       भाग:13              रचना: बाबुल हक़ अंसारी               “हक़ीक़त की दहलीज़”[हकीकत की दीवार…]धुंध का रास्ता धीरे-धीरे खुल रहा था।अयान के कदम उस रोशनी की तरफ बढ़ने ही वाले थे कि रूद्र ने चीखते हुए उसका हाथ पकड़ लिया।“तुझे लगता है प्यार की रोशनी इस अंधेरे को चीर सकती है?नहीं, अयान… प्यार से बड़ा भ्रम कोई नहीं!”अयान की नसों में गुस्से की आग दौड़ गई।उसने अपनी पूरी ताक़त से रूद्र की पकड़ छुड़ाई और गरजते हुए बोला —“भ्रम वही होता है