उपसंहार (Epilogue)रचना: बाबुल हक़ अंसारीसालों बीत चुके थे…वक़्त की परतें कई कहानियों को ढँक चुकी थीं, लेकिन कुछ किस्से ऐसे होते हैं जो धूल में दबते नहीं, बल्कि और चमकते जाते हैं। आर्यन और उसकी मोहब्बत की दास्तान अब किताबों, काग़ज़ों और धड़कनों से निकलकर लोगों के जेहन का हिस्सा बन चुकी थी।उस रोज़ जब शहर के बीचोबीच बने चौराहे पर आर्यन की याद में स्मारक का उद्घाटन हुआ, तो सैकड़ों लोग उमड़ आए। किसी की आँखें भीगी थीं, कोई अपने बच्चों को उसकी कहानी सुनाते हुए गर्व महसूस कर रहा था। संगमरमर पर उकेरी गई पंक्तियाँ दिल को चीर