यशस्विनी - 14

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     उधर वही हाल रोहित का था…. मैं योग साधना के मार्ग में यशस्विनी जी से जो सहायता मैं ले रहा हूं…. कहीं मुझे उनसे आसक्ति न हो जाए और यह आसक्ति कहीं प्रेम में न बदल जाए और कहीं हम दोनों ईश्वरीय प्रेम को भूल कर एक दूसरे के साथ सांसारिक प्रेम के बंधन में तो नहीं बंध जाएंगे? रोहित बिस्तर पर लेटे-लेटे देर तक अपने फोन में विभिन्न अवसरों पर खींची गई यशस्विनी की फोटो देखने लगे...ये कैसा गहरा आकर्षण है यशस्विनी जी के मुख मंडल पर... कहीं वे भी ईश्वर का अंश तो नहीं? कितनी पवित्र