आदिराज ने अपने खून की आखिरी बूंद तक चढ़ा दी....अब आगे..............अचानक तेज हवाएं चलने से सब घबरा जाते हैं , इसलिए आदिराज उनको समझाते हुए कहते हैं....." घबराने की जरूरत नहीं है , अक्सर ऐसी क्रिया करने में मौसम भयावह हो जाता है इसलिए किसी को डरने की जरूरत नहीं , , बस इस क्रिया को पूरा होने दो उसके बाद सब शांत हो जाएगा....अमोघनाथ बैठो ,...!आदिराज के कहने पर अमोघनाथ उन सभी सामग्री को निकालकर बाहर आदिराज के सामने रखने लगता है...अमोघनाथ सामान को रखते हुए पूछता है...." आदिराज जी ! हम उस बेताल की आत्मा का पता नहीं