कामिनी एक अजीब दास्तां - भाग 10

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कामिनी अपनी सखी रात्रि को घायल अवस्था में इन मुर्दाखोर राक्षसो के सुपुर्द कर जाने लगती है तभी एक व्यापारी रात्रि से चिल्लाकर कहता है -"देखो, जिस की लाज बचाने के लिए तुमने अपने प्राणों की भी परवाह नहीं की वही तुम्हारे प्राण और तुम्हारी अस्मत को हमारे सुपुर्द करके जा रही है पर तुम तनिक भी चिंता मत करो हम चारों भंवरे, तुम्हारे पुष्प जैसे शरीर का सारा रस चूस चूस कर पी जाएंगे, तुम्हारी आज की रात इतनी सुखमय बीतेगी की फिर कभी भविष्य में तुम्हें किसी पुरुष की आशा नहीं होगी"।तभी दूसरा व्यापारी कहता है -"मेरा मत