आकाश को गुरुदेव का पूरा षड्यंत्र समझ में आ जाता है और यह भी पता चल जाता है कि, जिसे वह अपना सबसे बड़ा शुभचिंतक समझ रहा था, वही उसका सबसे बड़ा शत्रु है और उसके दोस्त सौरभ का हत्यारा भी, उसका गुरुदेव ही है।गुरुदेव के इस विश्वासघात से आकाश अंदर तक टूट जाता है क्योंकि जिस गुरुदेव पर वह सबसे ज्यादा भरोसा कर रहा था वही, सबसे बड़ा विश्वासघाती निकला।कामिनी आकाश के हृदय के भाव को भाप लेती है और उसकी बहती आंखों से आंसू पोछकर कहती है।" हम जिस पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं वही हमारी सबसे