सदियों पहले का समय था, जब गाँवों में लालटेन और दीयों की रोशनी ही रातों का सहारा हुआ करती थी। उस दौर में लोग मानते थे कि अमावस्या की रातें सबसे अधिक खतरनाक होती हैं। बुजुर्गों की कहानियाँ कहती थीं कि उस रात हवा में एक अजीब सा ज़हर घुल जाता है, इंसान का दिल भारी हो जाता है और आत्माएँ ज़मीन पर उतर आती हैं। गाँव के लोग सूरज ढलते ही अपने दरवाज़े बंद कर लेते, पर उसी गाँव में एक लड़का था, अरुण, जो इन बातों को अंधविश्वास मानकर हमेशा मज़ाक उड़ाया करता। उसे क्या पता था कि एक