जब विश्वास ही गुनहा बन जाए

यह सिर्फ़ एक प्रेम-कहानी नहीं, बल्कि भरोसे के टूटने, दोस्ती के बिकने और इंसानी चालों के खेल का रहस्यमय सफ़र है।                                                                    पुस्तक का सारांशयह कहानी एक ऐसे नायक की है जिसने जवानी की दहलीज़ पर कदम रखते ही अतीत के धोखों से जूझकर खुद को संभालना सीखा है।वह अपने सपनों की ओर बढ़ रहा है, लेकिन नियति उसके सामने एक नया मायाजाल बुन देती है।इस मायाजाल की