दुर्भाग्य है मेरे देश का जो बुद्ध को ना जान सका। हमने राम को जाना,हमने कृष्ण को जाना हमने नानक को जाना हमने मोहम्मद तक को जाना लेकिन जब बारी आयी बुद्ध को जानने की तो हम चूक गए। बुद्ध बड़े ही कड़वे लगे हमे।जो सत्य था बुद्ध ने वो वैसा का वैसा ही बोल दिया। जिस देश मैं बुद्ध को पूजा जाना था वहां उसका तिरस्कार हुआ लोगों ने पत्थर मारे। पश्चिम में जाकर उन्हें शरण लेनी पढ़ी।ये हमारा दुर्भाग्य ही तो है हम ने कंकड़ पत्थर को सम्भालने के चक्कर में हीरे को खो दिया।बुद्ध के जीवन से