काई (शैवाल का रूप)

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राजीव: शैवाल की शक्ति---अध्याय 1 – संजीव साल 1985, भोपाल।तालाब किनारे सुबह की हल्की धूप में संजीव खड़ा था। हाथ में दाना लेकर वह मछलियों को खिला रहा था। पानी में उछलती मछलियाँ उसके इर्द-गिर्द खेल रही थीं। उसका चेहरा शांत था, जैसे हर रोज़ की यह प्रक्रिया उसे जीवन का सबसे बड़ा सुख देती हो।“चलो बच्चो, आज का दाना भी सही से खाओ,” संजीव ने हँसते हुए कहा।बच्चों की तरह मछलियाँ भी उसकी मुस्कान का जवाब दे रही थीं। तालाब के किनारे खड़े लोग उसे देखते और कहते, “संजय, यह लड़का कितना नेक है, हमेशा दूसरों की परवाह करता है।”लेकिन