लिखना तो चाहता हूँ तेरे लिए बहुत कुछ,पर सच ये है कि तेरे लिए कुछ लिखा ही नहीं जा सकता।तेरी मौजूदगी ही इतनी अनमोल है कि अल्फ़ाज़ उसके आगे बौने लगते हैं।तेरे बारे में कुछ शब्दों में कहना वैसा ही हैजैसे पूरी गंगा को एक मटके में भरने की कोशिश करना।तेरी हँसी की मिठास, तेरी आँखों की रोशनी,तेरे बोलने का अंदाज़ और तेरे खामोश रहने की गहराई—ये सब चीज़ें सिर्फ़ देखी और महसूस की जा सकती हैं,उन्हें अल्फ़ाज़ में बांधना नामुमकिन है।तेरे चेहरे पर आती मासूम मुस्कानकभी किसी सुबह की पहली किरण जैसी लगती है,तो कभी ठंडी हवा के झोंके