कुछ एहसास ऐसे होते हैं जिन्हें अल्फ़ाज़ में बयां करना मुश्किल होता है।
ये शायरी उन ही लम्हों की दास्ताँ है, जहाँ दिल बोलता है और शब्द ख़ामोश हो जाते हैं।
"अल्फ़ाज़ से परे तू" सिर्फ़ एक कविता नहीं, बल्कि एक एहसास है —
उस इंसान के लिए, जिसे लिखते-लिखते भी कलम थम जाती है।