धड़कनों के पार

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पहला हिस्साआरव और अन्वी की मुलाक़ात किसी किताबों की दुकान पर नहीं, किसी कॉलेज कैंपस में भी नहीं हुई।उनकी पहली मुलाक़ात हुई — रेलवे स्टेशन पर, एक अनोखे ढंग से।बारिश हो रही थी, आसमान काला बादल ओढ़े बैठा था। प्लेटफॉर्म पर भीड़ थी, लोग छतरियाँ तानकर भाग रहे थे। अन्वी अपने हाथ में एक पुरानी डायरी कसकर पकड़े थी — वही डायरी जिसमें उसके सारे राज़, सपने और डर लिखे थे।भागते-भागते वह फिसली और डायरी उसके हाथ से छूट गई।डायरी किसी के पैरों से टकराकर ठहर गई।और वहीं पहली बार उसने आरव को देखा।आरव ने डायरी उठाई, लेकिन पन्ने हवा