---भाग 6 – बदलते हालात शाम के छह बज चुके थे।सूरज धीरे-धीरे अस्ताचल की ओर बढ़ रहा था, उसकी नारंगी किरणें आसमान पर एक उदासी का रंग बिखेर रही थीं। राहुल ड्राइविंग सीट पर बैठा, एक हाथ स्टेयरिंग पर और दूसरा विंडो के बाहर लटकाए, मस्त चाल से गाड़ी चला रहा था। कार की हल्की रफ्तार और शांत माहौल में सबकुछ सामान्य लग रहा था — कम से कम ऊपर से।मगर पीछे की सीट पर बैठी सुनीता, एकदम चुपचाप थी। उसकी आँखें बाहर के दृश्य पर थीं, मगर मन कहीं और। उसके माथे पर सिलवटें थीं, और होंठ बार-बार भींचे जा