भाग:12 रचना: बाबुल हक़ अंसारी "भ्रम और हक़ीक़त की जंग"[धुंध का हाथ…]अयान के हाथ में वो ठंडी सी पकड़ अब और मज़बूत हो गई।दिल की धड़कनें जैसे ज़मीन फाड़कर बाहर आना चाह रही थीं।उसने आँखें खोलीं — सामने धुंध में हल्की परछाईं थी।वो आवाज़… बहुत धीमी, टूटी हुई, मगर अयान के लिए पूरी दुनिया से कीमती — “अयान… मुझे बचा लो…अयान का गला सूख गया।“रिया… सच में तू है? या फिर…”पर उससे पहले