सिसकती वफ़ा: एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल दास्तान - 15

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                       भाग:15                रचना:बाबुल हक़ अंसारी        “सच की लौ – मोहब्बत का अमर गीत”सर्वर रूम अब राख में बदल चुका था।छत से टपकते हुए जलते तार,दीवारों पर धुएँ की काली परत,और हर कोने में मौत की गंध घुली हुई थी।आयशा घुटनों के बल ज़मीन पर बैठी थी।उसकी बाहों में अयान की निढाल देह थी,चेहरे पर आँसू, पर दिल में गर्व —क्योंकि जिस आदमी को वो चाहती थी,उसने मोहब्बत और सच्चाई दोनों को बचाने के लिएअपनी जान कुर्बान कर दी थी।बाहर की