समता के पथिक: भीमराव - 12

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एपिसोड 12 – अंतिम संघर्ष और अमर विरासतबीमारी का बोझधर्म परिवर्तन के ऐतिहासिक आयोजन (नागपुर, 14 अक्टूबर 1956) के बाद बाबासाहेब अंबेडकर का जीवन मानो अपनी मंज़िल पा चुका था।उन्होंने अपने लोगों को नया धर्म, नई पहचान और नया जीवन दिया।लेकिन इसी के कुछ दिनों बाद उनका स्वास्थ्य तेजी से गिरने लगा।बचपन से ही बाबासाहेब बीमारियों से लड़ते आए थे – आँखों की तकलीफ़, शुगर, ब्लड प्रेशर, और लगातार काम के दबाव ने उनका शरीर कमजोर कर दिया था।उनके डॉक्टर कहते थे कि वे आराम करें, लेकिन अंबेडकर का कहना था—“आराम करने का समय मेरे पास नहीं है। अभी बहुत