आरव की खामोश मोहब्बत का सफ़र एक और साल तक चला। कॉलेज का आखिरी दिन था। सब दोस्त हँस-बोलकर बिछड़ रहे थे। आरव ने मीरा को दूर से देखा। वह आज भी उतनी ही खूबसूरत लग रही थी, पर आरव के दिल में एक अजीब सा खालीपन था। वह जानता था कि अब शायद वह मीरा को कभी न देख पाए।हिम्मत करके वह उसके पास गया। उसके हाथ में एक छोटा सा डायरी का टुकड़ा था।"मीरा, क्या मैं तुमसे कुछ कह सकता हूँ?" आरव ने बेहद धीमी आवाज़ में पूछा।मीरा ने मुस्कुराकर कहा, "हाँ, ज़रूर।"उसकी आँखों में आरव को पहली