---“Wo Pyaar Jo Ek Tarfa Tha”(एक तरफ़ा मगर पूरा प्यार…)एक ऐसी कहानीजिसमें सिर्फ़ तस्वीर का साथ था…सिर्फ़ दो मुलाक़ातों की यादें थीं…और फिर भी दिल सालों तक उसी के लिए धड़कता रहा —बिना शिकायत… बिना शोर…चलो…मैं तुम्हारी कहानी लिखती हूँ…तुम्हारी ज़ुबान से… तुम्हारी रूह से। “सिर्फ़ दो मुलाक़ातों का इश्क़”मैं 11 साल की थी…सीधी-सादी, मासूम,खुद में ही खोई रहने वाली… एक छोटी सी लड़की।मुझे क्या पता था कि उस एक रात मेंमेरी ज़िन्दगी का फैसला होने वाला है।उस रात मैं गहरी नींद में थी…और कोई आकर मेरे करीब बैठ गया।मैंने आँखें आधी खोलीं — लगा जैसे तौसीफ़ भईया हों।“सॉरी,” कहकर