सुनहरी गलियों का प्यार - 6

--- भाग 1: पेरिस की पहली सुबहपेरिस की सुबह जयपुर से अलग थी — वहाँ की हवा में इतिहास था, लेकिन जान्हवी की साँसों में विराज की कमी।वह Galerie Lumière पहुँची — जहाँ उसकी स्केच प्रदर्शित होनी थी।  हर दीवार पर उसकी कला थी, लेकिन हर रंग में एक अधूरापन।> “ये शहर खूबसूरत है… लेकिन तुम नहीं हो,” उसने अपनी डायरी में लिखा।--- भाग 2: प्रदर्शनी की तैयारीजान्हवी ने अपनी सबसे भावनात्मक स्केच चुनी —  एक लड़की जो एक पुल पर खड़ी है, नीचे बहती नदी, और सामने एक खाली फ्रेम।वह फ्रेम विराज के लिए था — लेकिन अब वह वहाँ नहीं