छाया भ्रम या जाल - भाग 19

(144)
  • 1k
  • 1
  • 321

भाग 19बेसमेंट का दरवाज़ा एक प्राचीन, भयावह रहस्य की तरह खड़ा था। जैसे ही डॉ. मेहता ने उसे खोला, एक सड़ी हुई, नम गंध ने उनके नथुनों पर हमला किया, जो सदियों से बंद किसी कब्र जैसी थी। अंदर घना अँधेरा था, जिसे टॉर्च की मंद रोशनी भी पूरी तरह भेद नहीं पा रही थी। हवा में एक भारीपन था, जैसे ऑक्सीजन की कमी हो, और चारों ओर एक भयानक, ठंडी चुप्पी पसरी थी जो किसी भी सामान्य आवाज़ को निगलने को तैयार थी। विवेक ने डर से एक गहरी साँस ली, उसके हाथ में कवच का वजन उसे थोड़ा