भाग 17 डॉ. मेहता ने रात को ही अपनी गाड़ी पकड़ी और दिल्ली से हिमालय की तलहटी की ओर निकल पड़े। उनका मन बेचैन था, एक तरफ अमावस्या की रात का दबाव था, तो दूसरी तरफ दुष्ट शक्ति की बढ़ती ताकत का डर। उन्हें उम्मीद थी कि ऋषि अग्निहोत्री, उनके गुरु, इस विकट परिस्थिति में उनकी मदद कर पाएंगे।उनकी यात्रा आश्चर्यजनक रूप से शांतिपूर्ण रही। सड़कें साफ थीं, और रास्ते में उन्हें किसी भी तरह की अजीबोगरीब घटना या बाधा का सामना नहीं करना पड़ा। जैसे-जैसे वे पहाड़ों के करीब पहुँचते गए, हवा में एक शुद्धता महसूस होने लगी, और मन