भाग 14विवेक ने कुएं के गहरे, अंधेरे मुँह को देखा, जहाँ से एक अजीब-सी काली रोशनी निकल रही थी। नीले फूल को पाने की खुशी कुछ ही देर में नई चिंता में बदल गई थी। दुष्ट शक्ति उन्हें निकलने नहीं दे रही थी, और कवच ही उनकी आखिरी उम्मीद लग रहा था।"यहाँ से कैसे निकलेगा कवच?" अनुराग ने कमज़ोर आवाज़ में पूछा। उसका बुखार अब भी चढ़ा हुआ था, लेकिन उसकी आँखों में डर और सवाल साफ दिख रहे थे।"मुझे नहीं पता," विवेक ने कहा, उसकी नज़रें कुएं पर जमी थीं। "लेकिन डॉ. मेहता ने कहा था कि कवच उसी