छाया भ्रम या जाल - भाग 11

भाग 11सुबह की पहली किरणें अपार्टमेंट की खिड़कियों से झाँक रही थीं, लेकिन ग्रुप के लिए यह कोई नई शुरुआत नहीं थी, बल्कि एक अनिश्चित सफर की पहली सुबह थी। विवेक, छाया, रिया और अनुराग ने अपने बैग कंधे पर टांगे और आखिरी बार अपने अपार्टमेंट को देखा। रात भर की अजीबोगरीब घटनाओं ने उन्हें लगभग तोड़ दिया था, लेकिन उनके चेहरे पर अब एक अजीब-सी दृढ़ता थी। श्रीमती शर्मा अपने कमरे से बाहर नहीं निकली थीं, और उनकी धीमी फुसफुसाहटें अभी भी सुनाई दे रही थीं, जो एक भयानक विदाई की तरह थीं।"सब कुछ ले लिया?" विवेक ने पूछा,