हरियाणा के बलाली गाँव की गलियों में हर रोज़ बच्चों की आवाज़ गूँजती रहती है। कभी कोई कबड्डी खेलता तो कभी अखाड़े से मिट्टी की गंध हवा में घुल जाती। इन्हीं गलियों के बीच रहते थे महावीर सिंह फोगाट। कभी वे एक शानदार पहलवान हुआ करते थे। उनकी आँखों में एक ही सपना था – कि वे भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतें और देश का नाम रोशन करें। लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। परिवार की जिम्मेदारियाँ, पैसों की तंगी और समाज की बेड़ियों ने उन्हें अखाड़े से दूर कर दिया। उनका सपना अधूरा रह गया, लेकिन उनके