उसकी निगाहें फोन पर टिकी थीं। आखिरकार, उसने हार मान ली।"बस… अब और नहीं! मैं खुद उसे फोन करता हूँ!"उसने झट से फोन उठाया, समीरा का नंबर मिलाने ही वाला था कि अचानक ठहर गया।"नहीं, क्या ये सही होगा?"वह फोन को घूरने लगा, जैसे उससे कोई जवाब मांग रहा हो। फिर उसने लंबी सांस ली और खुद से कहा—"अगर उसे मेरा गुलदस्ता पसंद आया होगा, तो वह ज़रूर जवाब देगी। अगर नहीं दिया, तो शायद उसका जवाब पहले से ही साफ है..."ये सोचकर उसने फोन वापस रख दिया। मगर दिल मानने को तैयार नहीं था।वह फिर से कमरे में टहलने